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शिव तांडव स्तोत्रम् लिरिक्स: हिंदी में अर्थ, महत्त्व व लाभ

शिव तांडव (Shiv Tandav Stotram) से संपूर्ण हिंदी बोल, सरल अर्थ, महत्व और चमत्कारी लाभ जानें। यह प्राचीन स्तोत्र न केवल भगवान शिव की उपासना में सर्वश्रेष्ठ है, बल्कि जीवन में शक्ति, ऊर्जा और शांति भी देता है। पूरी जानकारी और लिरिक्स के लिए पढ़ें!

शिव तांडव (Shiv Tandav Stotram

जब भी शिव की बात आती है, दिल से एक अलग-सी ऊर्जा और सम्मान महसूस होता है। शिव का तांडव नृत्य केवल नृत्य नहीं, सृष्टि का आधार है – विनाश और पुनर्निर्माण की शक्ति।

मेरे घर में हर महाशिवरात्रि या सावन में ‘शिव तांडव स्तोत्रम्’ का पाठ एक परंपरा बन चुका है।

पहली बार जब मैंने इसे सुना था, मन में एक गूंज उठी – शब्द इतने शक्तिशाली कि जैसे हर अक्षर में शिव स्वयं विराजमान हैं।

अगर आपने कभी शिव तांडव स्तोत्रम् को ध्यान से पढ़ा या सुना है, तो आप जानते होंगे कि इसमें शब्दों के साथ एक अलौकिक लय और महिमा है।

यह सिर्फ प्रार्थना नहीं, एक अनुभव है!

Shiv Tandav Stotram

जटाटवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्।

डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्ड तांडवं तनोतु नः शिवः शिवम्।। 1।।

कृपालुभंगपंचवारिवृष्टिसारसारम
विप्रलोचनारुणीभुजंगराजमालया।

विपाकषान्धवाहिनी मृगेंद्रराजमंडलं
चकार चण्ड तांडवं तनोतु नः शिवः शिवम्।। 2।।

जटाकटाह संभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी
विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।

धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके
किशोरचंद्रशेखरे रति: प्रतिक्षणं मम।। 3।।

धराधरेन्द्र नंदिनी विलास बंधु बंधुर
स्फुरद्दिगंत संतति प्रमोद मानमानसे।

कृपाकटाक्ष धोरिणी निरुद्ध दुर्धरापदि
क्वचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि।। 4।।

जटा भुजंग पिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा
कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि।। 5।।

सहस्रलोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः।
भुजंगराजमालया निबद्ध जाटजूटकः
श्रियै चिराय जायतां चकोर बन्धुशेखरः।। 6।।

ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिंपनायकम्।
सुधामयूखलेखया विराजमान शेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तुनः।। 7।।

करालभाल पट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल
धनञ्जया धरीकृतिप्रचण्डपञ्चसायके।
धराधरेन्द्रनंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्प नैक शिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम।। 8।।

नवीन मेघ मण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुर
त्कुहूनिशीथिनीतम: प्रबन्धबद्धकंधरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधान बन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः।। 9।।

प्रफुल्ल नीलपंकज प्रपंचकालिमप्रभा
विलोलविचि वल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचंद्रशेखरे रति: प्रतिक्षणं मम।। 10।।

सरल अर्थ (संक्षिप्त):

  • शिव तांडव स्तोत्रम् भगवान शिव के उस तांडव रूप की स्तुति है, जिसमें वे संहार, सृजन और आनंद – तीनों के अधिपति हैं।
  • हर श्लोक शिव की महिमा, उनकी शक्ति, भुजंगमाल, डमरू की ध्वनि, तीसरी आँख की अग्नि, और उनके आभूषणों, कपालों, जटाओं का सुंदर वर्णन करता है।
  • इसका भाव यह है कि शिव के बिना संसार में कुछ भी शाश्वत नहीं – शिव ही जीवन, शिव ही शक्ति।

शिव तांडव स्तोत्रम् के लाभ:

  1. शारीरिक और मानसिक ऊर्जा:
    रोज़ पाठ करने से नकारात्मकता दूर होती है, साहस और आत्मविश्वास मिलता है।
  2. कष्टों से मुक्ति:
    जीवन में बड़ी बाधाएं या डर हो, तो शिव तांडव स्तोत्रम् पढ़ना बहुत फलदायी है।
  3. आध्यात्मिक शांति:
    इसकी लय और शब्दों से मन ध्यान में चला जाता है, जिससे गहरी शांति और सुखद अनुभूति होती है।
  4. मनोकामना पूर्ति:
    भक्त श्रद्धा से इसका पाठ करें, तो मनचाहा फल मिल सकता है।

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Shiv Tandav Stotram Lyrics

अगर आपने कभी शिव तांडव स्तोत्रम् नहीं पढ़ा या सुना है, तो एक बार ज़रूर अनुभव करें – इसकी गूंज आपके मन को शिवमय कर देगी।

अपने परिवार में या अकेले भी इसका पाठ करें, इसका असर आप खुद महसूस करेंगे।
अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई हो या आपने शिव तांडव स्तोत्रम् का कोई अनुभव साझा करना हो, तो कमेंट जरूर करें।
शिव की कृपा आप पर हमेशा बनी रहे! हर हर महादेव!

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