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भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर प्रणाम मंत्र – हिंदी अर्थ और संस्कृत पाठ

bhakti siddhanta saraswati thakur pranam mantra

Bhakti Siddhanta Saraswati Thakur Pranam Mantra:

श्रील भक्तिसिद्धान्त सरस्वती ठाकुर (Srila Bhakti Siddhanta Saraswati Thakur Pranam Mantra) के प्रणाम मंत्र यहाँ शुद्ध हिंदी और संस्कृत (देवनागरी) में दिए गए हैं। आमतौर पर इनके दो मुख्य प्रणाम मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।

यहाँ दोनों मंत्र उनके हिंदी अर्थ के साथ दिए गए हैं:


पहला प्रणाम मंत्र (परिचय)

यह मंत्र उनकी पहचान और भगवान कृष्ण के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।

नमः ॐ विष्णु-पादाय कृष्ण-प्रेष्ठाय भूतले।
श्रीमते भक्तिसिद्धान्त-सरस्वतीति नामिने॥

हिंदी अर्थ: “मैं ॐ विष्णु-पाद (भगवान के चरणों में आश्रित), पृथ्वी ताल पर भगवान श्रीकृष्ण के अत्यंत प्रिय, श्रील भक्तिसिद्धान्त सरस्वती ठाकुर को प्रणाम करता हूँ।”


दूसरा प्रणाम मंत्र (महिमा और कार्य)

यह मंत्र श्रील रूप गोस्वामी की शिक्षाओं (रूपानुग) के प्रति उनकी निष्ठा और अपसिद्धान्तों (गलत धारणाओं) के खंडन के लिए प्रसिद्ध है।

श्री-वार्षभानवी-देवी-दयिताय कृपाब्धये।
कृष्ण-सम्बन्ध-विज्ञान-दायिने प्रभवे नमः॥

माधुर्योज्ज्वल-प्रेमाढ्य-श्री-रूपानुग-भक्तिद।
श्री-गौर-करुणा-शक्ति-विग्रहाय नमोऽस्तु ते॥

नमस्ते गौर-वाणी-श्री-मूर्तये दीन-तारिणे।
रूपानुग-विरुद्धापसिद्धान्त-ध्वान्त-हारिणे॥

(नोट: दैनिक पूजा में अक्सर ऊपर वाले मंत्र का केवल अंतिम भाग “नमस्ते गौर-वाणी…” सबसे अधिक प्रचलित है, लेकिन पूर्ण विधि के लिए ऊपर की पंक्तियाँ भी महत्वपूर्ण हैं। नीचे सबसे प्रचलित भाग का अर्थ दिया गया है)

‘नमस्ते गौर-वाणी…’ भाग का हिंदी अर्थ: “मैं आपको नमस्कार करता हूँ, आप गौर-वाणी (श्री चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाओं) की साक्षात् मूर्ति हैं और दीनों (पतितों) का उद्धार करने वाले हैं।

आप रूपानुग-भक्ति (श्रील रूप गोस्वामी द्वारा बताई गई भक्ति) के विरुद्ध जाने वाले अपसिद्धान्त रूपी अंधकार का नाश करने वाले हैं।”


उच्चारण के लिए विशेष सुझाव:

  • कृष्ण-प्रेष्ठाय: इसका उच्चारण ‘कृष्ण-प्रेष-ठाय’ करें (ठ पर जोर दें)।
  • भक्तिसिद्धान्त: ‘त’ पर हलंत नहीं है, लेकिन इसका उच्चारण थोड़ा जल्दी और जुड़ा हुआ होता है।
  • ध्वान्त-हारिणे: ‘ध्वान्त’ का अर्थ अँधेरा होता है, इसे स्पष्ट बोलें।

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