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जितना दिया सरकार ने मुझको उतनी मेरी औकात नहीं भजन लिरिक्स

Saraswati Chalisa | श्री सरस्वती चालीसा

Shri Saraswati Chalisa
Saraswati Chalisa in Hindi

आज हम पढ़ेंगे श्री सरस्वती माताजी का Saraswati Chalisa, तो आइए शुरू करते हैं।

॥ Saraswati Chalisa Lyrics ॥

॥ दोहा ॥

जनक जननि पदम दुरज, निजब मस्तक पर धारि।

बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि।।

पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।

दुष्टजनों के पाप को, मातु तुही अब हन्तु।।

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॥ चौपाई ॥

जय श्रीसकल बुद्धि बलरासी।

जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी।।

जय जय जय वीणाकर धारी।

करती सदा सुहंस सवारी।।

रूप चतुर्भुज धारी माता।

सकल विश्व अन्दर विख्याता।।

जग में पाप बुद्धि जब होती।

तबही धर्म की फीकी ज्योति।।

तबहि मातु का निज अवतारा।

पाप हीन करती महितारा।।

बाल्मीकि जी था हत्यारा।

तव प्रसाद जानै संसारा।।

रामचरित जो रचे बनाई ।

आदि कवि की पदवी पाई।।

कालीदास जो भये विख्याता ।

तेरी कृपा दृष्टि से माता।।

तुलसी सूर आदि विद्वाना ।

भये जो और ज्ञानी नाना।।

तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा ।

केवल कृपा आपकी अम्बा।।

करहु कृपा सोई मातु भवानी।

दुखित दीन निज दासहि जानी।।

पुत्र करई अपराध बहूता ।

तेहि न धरई चित माता।।

राखु लाज जननि अब मेरी।

विनय करऊ भांति बहुतेरी।।

मैं अनाथ तेरी अवलंबा ।

कृपा करउ जय जय जगदंबा।।

मधुकैटभ जो अति बलवाना ।

बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना।।

समर हजार पांच में घोरा।

फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा।।

मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।

बुद्धि विपरीत भई खलहाला।।

तेहि ते मृत्यु भई खल केरी ।

पुरवहु मातु मनोरथ मेरी।।

चण्ड मुण्ड जो थे विख्याता ।

क्षण महु संहारे उन माता।।

रक्त बीज से समरथ पापी ।

सुर मुनि हृदय धरा सब कांपी।।

॥ आगे पढ़िए ॥

काटेउ सिर जिम कदली खम्बा।

बार बार बिनवऊं जगदंबा।।

जगप्रसिद्ध जो शुंभ निशुंभा।

क्षण में बांधे ताहि तूं अम्बा।।

भरत-मातु बुद्धि फेरेऊ जाई ।

रामचन्द्र बनवास कराई।।

एहि विधि रावन वध तू कीन्हा।

सुर नर मुनि सबको सुख दीन्हा।।

को समरथ तव यश गुण गाना।

निगम अनादि अनंत बखाना।।

विष्णु रूद्र जस कहिन मारी।

जिनकी हो तुम रक्षाकारी।।

रक्त दन्तिका और शताक्षी।

नाम अपार है दानव भक्षी।।

दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।

दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा।।

दुर्ग आदि हरनी तू माता ।

कृपा करहु जब जब सुखदाता।।

नृप कोपित को मारन चाहे ।

कानन में घेरे मृग नाहै।।

सागर मध्य पोत के भंजे ।

अति तूफान नहिं कोऊ संगे।।

भूत प्रेत बाधा या दु:ख में।

हो दरिद्र अथवा संकट में।।

नाम जपे मंगल सब होई।

संशय इसमें करई न कोई।।

पुत्रहीन जो आतुर भाई ।

सबै छांड़ि पूजें एहि भाई।।

करै पाठ नित यह चालीसा ।

होय पुत्र सुन्दर गुण ईसा।।

धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।

संकट रहित अवश्य हो जावै।।

भक्ति मातु की करैं हमेशा।

निकट न आवै ताहि कलेशा।।

बंदी पाठ करें सत बारा ।

बंदी पाश दूर हो सारा।।

रामसागर बांधि हेतु भवानी।

कीजे कृपा दास निज जानी।।

॥ दोहा ॥

मातु सूर्य कान्ति तव, अंधकार मम रूप।

डूबन से रक्षा कार्हु परूं न मैं भव कूप।।

बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।

रामसागर अधम को आश्रय तू ही दे दातु।।

॥ इति Saraswati Chalisa Lyrics in Hindi सम्पूर्ण॥

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