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दिलवाड़ा जैन मंदिर | Dilwara Jain Temple Mount Abu

Dilwara Jain Mandir, Mount Abu दिलवाड़ा जैन मंदिर

राजस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू में स्थित Dilwara Jain Temple Mount Abu (दिलवाड़ा जैन मंदिर) केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि वास्तुकला का एक ऐसा चमत्कार है जिसे देखकर आँखें फटी की फटी रह जाती हैं।

बाहर से साधारण दिखने वाले इस मंदिर के अंदर कदम रखते ही संगमरमर (Marble) की ऐसी बारीक नक्काशी देखने को मिलती है,

जो दुनिया में शायद ही कहीं और हो इसिलिये इसे Mount Abu Ka prasidh Jain Mandir भी कहाँ जाता है।

यदि आप Dilwara or Delwara Jain Temples in Mount Abu जाने का प्लान बना रहे हैं,

तो यह ब्लॉग आपके लिए है। यहाँ हम आपको टाइमिंग से लेकर लोकेशन तक की 100% सही जानकारी देंगे।


Dilwara Jain Temple Timings और एंट्री टिकट (सबसे महत्वपूर्ण)

अधिकतर पर्यटक समय को लेकर कंफ्यूज रहते हैं। मंदिर के खुलने का समय जैन भक्तों और सामान्य पर्यटकों के लिए अलग-अलग है।

  • पर्यटकों के लिए (For Tourists): दोपहर 12:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक।
  • जैन भक्तों के लिए (For Jains): सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक।
  • Dilwara Temples tickets: यहाँ प्रवेश पूरी तरह से निःशुल्क (Free) है। आपसे किसी भी तरह का टिकट चार्ज नहीं लिया जाता।

(सुझाव: भीड़ से बचने के लिए दोपहर 12 बजे के ठीक बाद जाने की कोशिश करें।)

Beautiful View of Dilwara Jain Temple Mount Abu exterior

इतिहास: Dilwara temple was built by which dynasty?

यह मंदिर किसी एक राजा ने नहीं, बल्कि गुजरात के सोलंकी शासकों (Solanki dynasty) के मंत्रियों और वास्तुपाल-तेजपाल भाइयों ने बनवाया था।

यह मंदिर 11वीं और 13वीं शताब्दी के बीच बनकर तैयार हुआ था।

यह मुख्य रूप से 5 मंदिरों का समूह है, जो अलग-अलग तीर्थंकरों को समर्पित हैं:

  1. विमल वासाही (Vimal Vasahi): यह सबसे पुराना मंदिर है, जिसे 1031 ई. में विमल शाह ने बनवाया था। यह प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ को समर्पित है।
  2. लूना वासाही (Luna Vasahi): इसे 1230 ई. में वास्तुपाल और तेजपाल ने बनवाया था। यह 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ को समर्पित है।
  3. पित्तलहार मंदिर (Pittalhar Temple): यहाँ भगवान आदिनाथ की 108 मन (लगभग 4000 किलो) की पंचधातु मूर्ति है।
  4. पार्श्वनाथ मंदिर (Parshvanath Temple): यह मंदिर अपनी चौमुखी मूर्ति और शिल्पकारी के लिए प्रसिद्ध है।
  5. महावीर स्वामी मंदिर (Mahavir Swami Temple): यह भगवान महावीर को समर्पित छोटा लेकिन सुंदर मंदिर है।

वास्तुकला: Famous Jain Temple in Mount Abu क्यों है?

Dilwara or Delwara Jain Temples in Mount Abu अपनी “मार्बल नक्काशी” (Marble Carving) के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है।

कहा जाता है कि कारीगरों को संगमरमर को छीलने और तराशने के लिए जमा हुए धूल के वजन के बराबर सोना दिया जाता था। छतों,

खंभों और मेहराबों पर इतनी महीन नक्काशी है कि पत्थर भी मोम जैसा लगता है।


दूरी और कैसे पहुँचें (Dilwara Jain Temple location)

यह मंदिर माउंट आबू शहर के मुख्य केंद्र से ज्यादा दूर नहीं है।

  • Mount Abu to Dilwara temple distance: यह नक्की झील और मुख्य बाजार से लगभग 2.5 से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  • कैसे पहुँचें: आप माउंट आबू शहर से टैक्सी या किराए की स्कूटी/बाइक लेकर आसानी से यहाँ पहुँच सकते हैं। यह रास्ता हरियाली से भरा हुआ है।

Dilwara Jain Temple Photos और नियम

पर्यटकों के मन में अक्सर Dilwara Jain Temple photos खींचने की इच्छा होती है, लेकिन आपको बता दें कि मंदिर के अंदर फोटोग्राफी सख्त मना है (Photography is strictly prohibited)। आपको अपने मोबाइल फोन और कैमरे बाहर लॉकर रूम में जमा कराने पड़ते हैं। इसलिए, आप केवल बाहर से ही फोटो ले सकते हैं या यादें अपनी आँखों में बसा सकते हैं।

Dilwara Jain Temple contact number: मंदिर ट्रस्ट का कोई आधिकारिक सार्वजनिक मोबाइल नंबर इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं है। किसी भी जानकारी के लिए आपको सीधे मंदिर कार्यालय (बापूनगर, माउंट आबू) जाना होगा।


Dilwara Jain Temple Reviews: लोग क्या कहते हैं?

जो भी यात्री यहाँ आता है, वह इसकी सुंदरता का कायल हो जाता है। Dilwara Jain Temple reviews में लोग इसे “ताजमहल से भी सुंदर नक्काशी” वाला स्थान बताते हैं।

  • शांति: यहाँ का वातावरण बहुत आध्यात्मिक और शांत है।
  • कला: पर्यटक अक्सर कहते हैं कि बाहर से यह मंदिर साधारण लगता है, लेकिन अंदर का नजारा जादुई है।

निष्कर्ष (Conclusion)

यदि आप राजस्थान या माउंट आबू की यात्रा कर रहे हैं, तो Dilwara Jain Temple Mount Abu को अपनी लिस्ट में सबसे ऊपर रखें। यह न केवल जैन धर्म की आस्था का केंद्र है, बल्कि भारतीय शिल्प कला का एक बेजोड़ नमूना है।

Tourists visiting Dilwara Jain Temple

अगली बार जब आप माउंट आबू जाएं, तो पत्थरों पर लिखी इस कविता को पढ़ना न भूलें।

जय जिनेन्द्र!


(Disclaimer: समय और नियमों में मंदिर ट्रस्ट द्वारा बदलाव किया जा सकता है। कृपया यात्रा से पहले स्थानीय स्तर पर पुष्टि कर लें।)

Also Read about this Temple: श्री खाटू श्याम मंदिर बापूनगर

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