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द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र: शिव कृपा और समस्त पापों के नाश का महामंत्र

Dwadash Jyotirlinga Stotram Lyrics

Dwadash Jyotirlinga Stotram Lyrics in Hindi

“ॐ नमः शिवाय”

सनातन धर्म में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों (12 Jyotirlingas) के दर्शन का महत्व मोक्ष प्राप्ति के समान माना गया है। सौराष्ट्र के सोमनाथ से लेकर हिमालय के केदारनाथ तक, ये दिव्य शिवलिंग शिवजी की अनंत शक्ति के प्रतीक हैं।

लेकिन हर किसी के लिए बार-बार इन सभी तीर्थों की यात्रा करना संभव नहीं होता।

ऐसे में आदि शंकराचार्य द्वारा रचित द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र (Dwadash Jyotirlinga Stotram Lyrics) एक ऐसा शक्तिशाली माध्यम है, जिसके नित्य पाठ से आप घर बैठे ही इन 12 ज्योतिर्लिंगों की मानसिक यात्रा कर सकते हैं।

आज के इस लेख में हम आपके लिए लाए हैं 100% शुद्ध संस्कृत पाठ और उसका हिंदी अर्थ


द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र का महत्व (Importance)

शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति प्रतिदिन सुबह या शाम के समय इस स्तोत्र का भक्तिपूर्वक पाठ करता है, उसके सात जन्मों के पाप (Sins) नष्ट हो जाते हैं। यह स्तोत्र न केवल मन को शांति देता है, बल्कि जीवन में आरोग्य और धन-धान्य की वृद्धि भी करता है।


|| द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र || (Dwadash Jyotirlinga Stotram Lyrics)

यहाँ 12 श्लोकों में प्रत्येक ज्योतिर्लिंग की महिमा और अंत में फलश्रुति दी गई है।

1. सोमनाथ (गुजरात)

सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम् ।
भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये ॥1॥

हिंदी अर्थ: जो अत्यंत रमणीय सौराष्ट्र प्रदेश (गुजरात) में अपनी भक्ति प्रदान करने के लिए दयापूर्वक अवतरित हुए हैं, और चंद्रमा जिनके मस्तक का आभूषण है, उन ज्योतिर्लिंग स्वरुप भगवान श्री सोमनाथ की शरण में मैं जाता हूँ.

2. मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश)

श्रीशैलशृङ्गे विबुधातिसङ्गे तुलाद्रितुङ्गेऽपि मुदा वसन्तम् ।
तमर्जुनं मल्लिकपूर्वमेकं नमामि संसारसमुद्रसेतुम् ॥2॥

हिंदी अर्थ: जो श्रीशैल पर्वत के ऊंचे शिखर पर (जहाँ देवताओं का समागम होता है) प्रसन्नतापूर्वक निवास करते हैं, और जो संसार रूपी सागर से पार उतारने के लिए पुल के समान हैं, उन प्रभु मल्लिकार्जुन को मैं नमस्कार करता हूँ.

3. महाकालेश्वर (मध्य प्रदेश)

अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम् ।
अकालमृत्योः परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम् ॥3॥

हिंदी अर्थ: सज्जनों को मोक्ष देने के लिए जिन्होंने अवन्तिका (उज्जैन) में अवतार लिया है, और जो अकाल मृत्यु से रक्षा करते हैं, उन देवों के देव महाकाल को मैं प्रणाम करता हूँ.

4. ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश)

कावेरिकानर्मदयोः पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय ।
सदैवमान्धातृपुरे वसन्तमोङ्कारमीशं शिवमेकमीडे ॥4॥

हिंदी अर्थ: जो कावेरी और नर्मदा नदी के पवित्र संगम के पास मांधाता नगरी (ओंकारेश्वर) में निवास करते हैं, उन कल्याणकारी भगवान ओंकारेश्वर की मैं स्तुति करता हूँ.

5. वैद्यनाथ (झारखंड/महाराष्ट्र)

पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने सदा वसन्तं गिरिजासमेतम् ।
सुरासुराराधितपादपद्मं श्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि ॥5॥

हिंदी अर्थ: जो पूर्वोत्तर दिशा में चिताभूमि (देवघर/परली) में माता पार्वती (गिरिजा) के साथ सदा वास करते हैं, और देवता व असुर जिनके चरणों की पूजा करते हैं, उन श्री वैद्यनाथ को मैं नमन करता हूँ.

6. भीमाशंकर (महाराष्ट्र)

याम्ये सदङ्गे नगरेऽतिरम्ये विभूषिताङ्गं विविधैश्च भोगैः ।
सद्भक्तिमुक्तिप्रदमीशमेकं श्रीनागनाथं शरणं प्रपद्ये ॥6॥


(नोट: यहाँ संदर्भ में नागनाथ का उल्लेख है, कई पाठों में भीमाशंकर के लिए “डाकिन्यां भीमशंकरम्” का प्रयोग होता है, परन्तु यहाँ हम दिए गए संदर्भ का पालन कर रहे हैं).

हिंदी अर्थ: दक्षिण के अत्यंत रमणीय सदंग नगर में जो विविध भोगों और आभूषणों से सुशोभित हैं, जो भक्ति और मुक्ति देने वाले हैं, उन श्री नागनाथ की मैं शरण लेता हूँ.

7. केदारनाथ (उत्तराखंड)

महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः ।
सुरासुरैर्यक्ष महोरगाढ्यैः केदारमीशं शिवमेकमीडे ॥7॥

हिंदी अर्थ: जो हिमालय पर्वत के तट पर (केदार श्रृंग) निवास करते हैं और मुनियों, देवताओं, असुरों व यक्षों द्वारा पूजे जाते हैं, उन भगवान केदारनाथ की मैं स्तुति करता हूँ.

8. त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र)

सह्याद्रिशीर्षे विमले वसन्तं गोदावरितीरपवित्रदेशे ।
यद्धर्शनात्पातकमाशु नाशं प्रयाति तं त्र्यम्बकमीशमीडे ॥8॥

हिंदी अर्थ: जो गोदावरी नदी के तट पर सह्याद्रि पर्वत के पवित्र शिखर पर वास करते हैं, जिनके दर्शन मात्र से पाप नष्ट हो जाते हैं, उन श्री त्र्यंबकेश्वर की मैं वंदना करता हूँ.

9. रामेश्वरम (तमिलनाडु)

सुताम्रपर्णीजलराशियोगे निबध्य सेतुं विशिखैरसंख्यैः ।
श्रीरामचन्द्रेण समर्पितं तं रामेश्वराख्यं नियतं नमामि ॥9॥

हिंदी अर्थ: भगवान श्रीरामचन्द्र जी द्वारा सागर तट पर बाणों से पुल बनाकर जिनकी स्थापना की गई, उन श्री रामेश्वर भगवान को मैं नियमपूर्वक प्रणाम करता हूँ.

10. भीमाशंकर/नागनाथ (संदर्भ अनुसार क्रम)

यं डाकिनिशाकिनिकासमाजे निषेव्यमाणं पिशिताशनैश्च ।
सदैव भीमादिपदप्रसिद्दं तं शङ्करं भक्तहितं नमामि ॥10॥

हिंदी अर्थ: जो डाकिनी और शाकिनी समूहों द्वारा सेवित हैं, उन भक्त-हितकारी भगवान भीमाशंकर को मैं प्रणाम करता हूँ.

11. विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश)

सानन्दमानन्दवने वसन्तमानन्दकन्दं हतपापवृन्दम् ।
वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये ॥11॥

हिंदी अर्थ: जो स्वयं आनंदकंद हैं और आनंदवन (काशी) में प्रसन्नतापूर्वक वास करते हैं, उन अनाथों के नाथ काशी विश्वनाथ की मैं शरण लेता हूँ.

12. घृष्णेश्वर (महाराष्ट्र)

इलापुरे रम्यविशालकेऽस्मिन् समुल्लसन्तं च जगद्वरेण्यम् ।
वन्दे महोदारतरस्वभावं घृष्णेश्वराख्यं शरणम् प्रपद्ये ॥12॥

हिंदी अर्थ: जो इलापुर (एलोरा) के विशाल और रमणीय मंदिर में विराजमान हैं और जिनका स्वभाव अत्यंत उदार है, उन घृष्णेश्वर महादेव की मैं शरण लेता हूँ.


फलश्रुति (Benefits of Chanting)

स्तोत्र के अंत में स्वयं बताया गया है कि इसके पाठ से क्या फल मिलता है:

ज्योतिर्मयद्वादशलिङ्गकानां शिवात्मनां प्रोक्तमिदं क्रमेण ।
स्तोत्रं पठित्वा मनुजोऽतिभक्त्या फलं तदालोक्य निजं भजेच्च ॥13॥

अर्थ: यदि कोई मनुष्य इन 12 ज्योतिर्लिंगों के स्तोत्र का भक्तिपूर्वक पाठ करता है, तो उसे इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के समान ही फल प्राप्त होता है और वह शिवलोक को प्राप्त करता है.


निष्कर्ष (Conclusion)

Dwadash Jyotirlinga Stotram Lyrics भगवान शिव से जुड़ने का सबसे सरल और प्रभावशाली तरीका है। चाहे आप यात्रा कर सकें या न कर सकें, प्रतिदिन सुबह इस स्तोत्र का पाठ करने से आपके घर में ही 12 ज्योतिर्लिंगों की ऊर्जा का संचार होगा।

आज ही से इस दिव्य मंत्र का पाठ शुरू करें और बोलें- हर हर महादेव!

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