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आरती कुंज बिहारी की (Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics)

Aarti Title: Aarti Kunj Bihari Ki Shri Giridhar Krishnamurari Ki Lyrics in Hindi.

Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics
Aarti Kunj Bihari Ki

Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics

आरती कुंजबिहारी की।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥


गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला।

श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला।

गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली।

लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक

ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।

आरती कुंजबिहारी की।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ X2


कनकमय मोर मुकुट बिलसे,
देवता दर्शन को तरसें।

गगन सों सुमन रासि बरसे
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिनी संग

अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।

आरती कुंजबिहारी की।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥X2


जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा।

स्मरण ते होत मोह भंगा
बसी शिव शीश, जटा के बीच, हरै अघ कीच

चरन छवि श्री बनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।

आरती कुंजबिहारी की।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ X2


चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन वेनू।

चहुं दिशि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद,

टेर सुनु दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।

आरती कुंजबिहारी की।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥


॥ इति Aarti Kunj Bihari Ki in Hindi सम्पूर्ण॥

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